बुधवार, 5 मई 2010

कार्टून:- खेल की दुनिया के खेल.


20 टिप्‍पणियां:

  1. पहले मैं इसका शीर्षक "विक्रम और बेताल" रखना चाहता था...:-)

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  3. अरे इसे किसी गंदे नाले मै फ़ेंक दो, मोका है!!!

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  4. ये ऐसा बेताल है जो कभी अपने पेड़ पर वापस नहीं जाता.

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  5. काजल जी,अनोनिमस साहब पता नहीं क्या बेचना चाह रहे हैं यहां पर. एक कार्टून इनके लिये भी..

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  6. @ भारतीय नागरिक - Indian Citizen
    मैं अपनी पोस्टों पर इन्हें कुछ नहीं कहता :-)

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  7. विक्रम और वेताल ..बहुत पढ़ा..आज इन्हें देख कर वही चित्र याद गया..[शायद चंदामामा में आता था..]
    --बहुत सटीक तस्वीर उतारी है आप ने!

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  8. एकदम सटीक. वैसे ये वेताल केवल लदे ही नहीं रहते अपितु सबका खून भी पीते है.

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  9. जोरदार......हर खेल संघ के कार्यालय में इस प्रेरक कार्टून को लगाना चाहिए.

    सुन्दर

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  10. अब खेलना है तो ये बोझ तो उठाना पड़ेगा।

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  11. वाह! वह वेताल जो बोलने पर भी कन्धे से उतरता नहीं! :)

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  12. हा हा, एकदम सही। ये बेताल तो ऐसा है कि जबरी मारे और रोने भी न दे।

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  13. हा...हा...राज भाटिया से सहमत हूँ !

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