मंगलवार, 23 अक्तूबर 2012

हि‍माचल यात्रा

 पूरा रास्‍ता इसी प्रकार की खुली सड़कों और मनोहारी दृश्‍यों से ओत-प्रोत है 

 दृश्‍य-2

 दृश्‍य-3

 दृश्‍य-4

 दृश्‍य-5

 रास्ते में आनंद पुर साहि‍ब गुरूद्वारा 

 हि‍माचल की  घाटि‍यां 

 दूर झुरमुट में छुपा सा एक गॉंव

एक गांव के बाजार का आम दृश्‍य जहां मेरा जाना हुआ

 दृश्‍य-2

 दृश्‍य-3, उसी बाज़ार में कैमरे की वि‍परीत दि‍शा में

इसी गांव में एक शिलालेख

शिलालेख  वाली दीवार

 सड़क कि‍नारे मकान की छत है यह 

 बरसातों के बाद सड़कों की मुरम्‍मत 

फ़सल कटाई के बाद खेत में मुझे  यह मूंगफली यूं अकेली पड़ी मि‍ली

ऐसे होती है गांवों में रामलीला, खड्ड कि‍नारे खुले में 

 घाटी में बसा एक गांव

 घुमावदार ढलानी रास्‍ते 

 यह मकड़ी का क्‍लोज़अप नहीं है, ये है ही इतनी बड़ी 

 यूं होती है स्‍याह रात. 7.30 तक तो सोने का उपक्रम प्रारम्‍भ हो लेता है

 आंगन में एक पौधे पर कुछ संतरे देख पा रहे हैं ?

मुझे घर पर, सि‍रहाने का एक कवर मि‍ला. इस पर, मेरे हाथ का छापा लेकर 
मेरी मॉं ने कभी की थी ये कढ़ाई :)

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